Friday, 24 November 2017

विक्टोरिया और अब्दुल - परदे के पीछे की कहानी कैसे लिखी गई


यूनाइटेड किंगडम की  महारानी विक्टोरिया  और आगरा की जेल में कार्यरत क्लर्क अब्दुल, दो अलग देश के और अलग जुबान बोलने और समझने वाले, दोनों में दूर दूर तक कोई समानता नहीं पर दोनों के बीच अद्भुत बंधन था जिसने समय , वर्ग , धर्म और कई सामाजिक मानकों को झुठला दिया l
ये फिल्म दोनों के संबंधों पर श्राबनि बासु की किताब पर बेस्ड है l
 श्राबनि बासु को ये कहानी लिखने का आईडिया तब आया जब वो २००१ में ओस्बोर्न हाउस गईं और उन्होंने अब्दुल करीम के पोट्रैट कई जगह लगे देखे (खास तौर से तब जब उन्होंने करीम के पोट्रैट महारानी के ड्रेसिंग रूम में लगे देखे ) उन्हें इसे लेकर उत्सुकता हुई तब उन्होंने अपनी रिसर्च शुरू की और ये कहानी लोगों के सामने आई l 

Wednesday, 22 November 2017

ईश्वर, विश्वास व साहस का दामन कभी न छोड़ें , यकीन मानिये परिस्थिति बदलेगी ज़रूर


जीवन में हम सब का बाधाओं से सामना होता ज़रूर है , फर्क इस बात से नहीं पड़ता की वो कितनी बड़ी हैं, फर्क बस इस बात से पड़ता है के कहीं वो हमारे दृढ विश्वास व साहस से  बड़ी तो नहीं l 
मैंने बहुत से लोगों को अपनी बड़ी से बड़ी बाधाओं से सफलता पूर्वक उबरते देखा है , कोई अपने अवसाद से तो कोई अपने संताप से, किसी को ड्रग एडिक्शन से तो किसी को अपने बिखरते संबंधों के दुःख से l 
मैंने ये पाया है के ईश्वर सभी को अपने अपने दुखों दे उबरने की शक्ति देता है अगर उसमे हमारा दृढ विश्वास है तो हम उसको महसूस कर पाते हैं l 
विश्वास हमारी परिस्थिति को रातों रात बदल नहीं सकता पर हमारी अंदर उस साहस का संचार कर देता है जो हमें हमारे दुखों व अवांछित परिस्थितयों से उबरने में हमारी मदद करता है l 
परिस्थिति कितनी भी बदतर क्यों ना हो जाए हम अपने साहस व दृढ विश्वास से उससे उबरने की ताक़त रखते है, ईश्वर, विश्वास व साहस का दामन कभी न छोड़ें , यकीन मानिये परिस्थिति बदलेगी ज़रूर l